Electric Vehicle एसी गाडी को कहते है जिसे ड्राईव करने के लिये एक या एक से ज्यादा इलेक्ट्रिक मोटरों का यूज किया जाता है। पेट्रॉल डीजल या गैस से चलने वाली गाडियों में इसके लिये आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine ) का यूज होता है। इलेक्ट्रिक गाडियों में इलेक्ट्रिक बाईक, इलेक्ट्रिक स्कूटर इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक ट्रेन, इलेक्ट्रिक बोट, और यहां तक कि इलेक्ट्रिक हवाई जहाज भी शामिल हो सकते हैं।
Electric Vehicle पहली बार 19 वीं सदी के मध्य में बनना शुरू हुईं जब किसी गाडी के इंजन को चलाने के लिये बिजली सबसे पसंदीदा तरीकों में से एक थी। हालांकि इनकी स्पीड धीमी हुआ करती थी फिर भी अपने शुरूआती कम्पेटिटर गैसोलिन से चलने वाली गाडियों से यह कई मायनों में अच्छी थीं। ये बिना शेार किये चलते थीं ,इनसे कोई बदबू और धुंआ नही निकलता था । इन सबसे बढकर इनको चलाना बहुत आसान था क्योंकि उस जमाने में गैसोलिन से चलने वाले वाहनों को स्टार्ट करने के लिये एक हाथ् की क्रेंक की जरूरत पडती थी जैसे कि आजकल भी खेतों या अन्य जगहों पर काम में आने वाले पुराने प्रकार के डीजल इंजन वाले जनरेटर एक रस्सी से खींच कर स्टार्ट किये जाते हैं। इन खूबियों के कारण इलेक्ट्रिक कारों को अमीर-वर्ग विशेषकर धनाढ्य महिला वर्ग के बीच लोकप्रियता मिली। तथा शहर के अंदर ही एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिये इनका बहुत उपयोग होता रहा।
19 वीं सदी के आखिर में अमेरिका में चलने वाली गाडियों में 38% से अधिक गाडियां बिजली से चलती थीं। लेकिन 1863 में बेलिजयम के ऐटिने लेनियर (Etienne lenoir) ने जब आंतरिक दहन इंजन की खेाज की और बाद के दशकों में इसकी टेक्नोलाॅजी में तेज सुधार के साथ ही नये पेटॉलियम क्षेत्रों की खेाज होने से पेट्राॅलियम आसानी से मिलने लगा तब पेट्रोलियम से चलने वाली गाडियां इलेक्ट्रिक गाडियों को टक्कर देने लगीं। और आगे जाकर 20 वी सदी के मध्य तक इनको सडकों से लगभग बाहर ही कर दिया था।
20 वी सदी के उत्तरार्ध में पर्यावरण प्रदूषण और पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करने के विश्व-व्यापी प्रयासों ने पुनः इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास को गति दी और 21 वी सदी में Electric Vehicle आवागमन के साधनों के रूप में तेजी से पेट्रोलियम चालित वाहनों के विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं।
Types of Elctric Vehicle
आजकल चार तरह के Electric Vehicle मार्केट में हैं,
बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (BEV) : इनकोे ऑल-इलेक्ट्रिक व्हीकल (एईवी) भी कहते हैं पूरी तरह से बिजली से चलते हैं। इस बिजली को एक बड़े बैटरी पैक में स्टोर किया जाता है जिसे बिजली ग्रिड में प्लग करके चार्ज किया जा सकता है। चार्ज किया गया बैटरी पैक तब इलेक्ट्रिक कार चलाने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर को पाॅवर देता है।
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (HEV) : ये पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों से चलते हैं। बैटरी खाली होने पर पेट्रोल इंजन का उपयोग गाड़ी चलाने और चार्ज करने दोनों के लिए किया जाता है।
प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (PHEV) : ये पेट्राॅल या बायो डीजल इंजन और बाहरी सॉकेट से चार्ज की गई बैटरी दोनों का यूज करता है। इसमें गाडी की बैटरी को इंजन के बजाय बिजली से चार्ज किया जा सकता है। पीएचईवी की परफार्मेंस एचईवी से ज्यदा लेकिन बीईवी से कम होती है।
ईंधन सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (FCEV) : इनको जीरो-एमिशन व्हीकल भी कहा जाता है। इसमें मोटर को चलाने के लिये बिजली केमिकल रियेक्शन से बनती है जिसके लिये आमतौर पर हाइडोजन का यूज किया जाता है। हाईडोजन ‘fuel cell technology’ से बिजली बनाती है जो सीधे मोटर को पावर देती है।
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