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June 18, 2023 Leave a Comment

e-fuel क्या है? क्या ये ईवी के लिये खतरा बन सकता है।

e-fuel क्या है? क्या ये ईवी के लिये खतरा बन सकता है।

Table of Contents

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  • e-fuel क्या हैं?
  • e-fuel के साथ समस्या
  • e-fuel किसके लिए हैं?

e-fuel क्या हैं?

e-fuel या इलेक्ट्रोफ्यूल एक केमिकल प्रोसेस से बनाया गया ईंधन है। इसे बनाने के लिये पानी को हाईड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग किया जाता है। इस अलग हुई हाईड्रोजन को कार्बन डाई ऑक्साईड के साथ मिला कर हाईडोकार्बन बनाया जाता है जो कि ई-ईंधन होता है। ई-ईंधन बनाने में जितनी कार्बन डाइऑक्साइड यूज होती है, ईंधन के जलने पर लगभग उतनी ही कार्बन डाइऑक्साइड को हवा में छोड़ती है, जिससे कुल कार्बन फुटप्रिंट कम होता है। इस प्रोसेस के लिये जरूरी बिजली को सोलर या पवन चक्की जैसे रिनिवेबल सोर्सेज से बनाया जाता है।

इस प्रकार इस तकनीक से बना e-fuel परिवहन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

e-fuels-in-hindi
Image from Pixabay

पेट्रोल और डीजल गाडियों की बिक्री अगले दशक में समाप्त होने वाली है, ऐसे में कम्बसशन इंजन कारों को लम्बे समय तक सडकों पर बनाए रखने के लिए e-fuel को एक अच्छा अल्टरनेट माना जा रहा है। हालाँकि, यह सवाल बना हुआ है कि फयुचर में ऐसे इंजन जो जीरो कार्बन पैदा करें उनके लिये क्या ई-ईंधन इसके लिये बिलकुल ठीक रहेगा ? पोर्श इसे बिलकुल सही मानता है।

2020 में इसने e-fuel बनाने की घोषणा की थी और 2022 में चिली में पवन उर्जा से चलने वाली एक ई-ईंधन रिफाइनरी स्थापित भी की। इसके साथ ही कम्पनी ने यूरेापियन कमीशन के 2035 तक पेट्रोल कारों पर बैन में से ई-ईंधन से चलने वाली कारों को छूट देने की पेटीशन दायर कर छूट भी हासिल कर ली है। लेकिन यूके की सरकार ने अभी इसमें कोई छूट नहीं दी है। वहां अभी भी 2030 तक इन पर बैन लग जाएगा। पोर्श इसके अलावा अपनी तीस 1966 मॉडल 911 कारों की सितंबर 2023 में फोर्डवाटर ट्रॉफी में कॉम्पिटिशन भी कराएगा जो 75 साल के इतिहास में वेस्ट ससेक्स ट्रैक पर पहला फुल ई-ईंधन कॉम्पिटिशन होगा।

 

e-fuel के साथ समस्या

देखा जाए तो e-fuel इलेक्ट्रिल व्हीकल के एक अच्छे समाधान की तरह लग सकता है। लेकिन इसके साथ भी कई महत्वपूर्ण समस्याएं जुडी हैं,जिनमें ई-ईंधन की लागत (cost) और दक्षता (Efficiency) सबसे बडी समस्याएं हैं जो ई-ईंधन को मुख्यधारा का विकल्प बनने से रोकती हैं। इलेक्ट्रिक कारों की ऊर्जा दक्षता (Energy efficiency) 70% से 90% तक होती है। रेनोल्ट कम्पनी अपने ईवी इंजन की 90% एनर्जी एफीसियेंसी का दावा करती है।दहन इंजन (Combustion Engine) ज्यादा से ज्यादा 40% दक्षता (Efficiency) देते हैं जैसा कि निसान कम्पनी बताती है।

e-fuel बनाने में उर्जा की खपत और इसके यूज करने से होने वाली ऊर्जा हानि (Energy loss) इसकी कीमत को बहुत ज्यादा बना देती है। यूरोपियन क्लाइमेट फाउंडेशन ने 2017 में कराए एक अध्ययन से पता चला है कि बड़े पैमाने पर ई-ईंधन उत्पादन को आर्थिक रूप से सफल बनाने के लिए कम से कम 1-1.50 यूरो प्रति लीटर की सब्सिडी जरूरी होगी। इस तरह की सब्सिडी देने के बाद भी ये नही कहा जा सकता ई-ईंधन पेट्रोल को पूरी तरह से रिप्लेस कर सकेगा।

e-fuel किसके लिए हैं?

ऑटोमोटिव की दुनिया में e-fuel के प्रमुख समर्थक् फेरारी और पोर्श हैं जो इस टेक्नोलॉजी का यूज कर के कम्बसशन इंजनो को बनाए रखना चाहते हैं। दोनों कम्पनियां इनकी गाडियों को पसंद करने वाले लोगों की पसंद को जानती हैं। रेसिंग कारों और एक्साईटमेंट को पसंद करने वाले ऐसे लोगों का एक बडा वर्ग मौजूद है, जो एक बिना गर्जना वाले ईवी सिम्युलेटेड इंजन इंजन के साथ किसी कम्पिटिशन में भाग लेना पसंद नही करते। रेसिंग कारों के लिए अंतरराष्ट्रीय रेसिंग फॉर्मूला 1 ने 2030 तक इसे नेट जीरो कार्बन बनाने का फैसला किया है। इसके लिये ये ईवी,हाईब्रिड या ई-ईंधन में से किसे अपनाता है यह जानना दिलचस्प रहेगा लेकिन रेसिंग कारों के शौकीनों की पसंद को देखते हुए ये e-fuel पर स्विच कर सकता है।

e-fuel को पेट्रॉल के साथ मिला कर इस्तेमाल का सोेचा जा रहा है खासतौर से हवाई जहाजों के उत्सर्जन को कम करने के लिए। एसा माना जाता है कि हवाई परिवहन में प्रति दिन 1 मिलियन बैरल पेट्रॉल की खपत होती करता है, जो कुल पेट्रोलियम खपत का लगभग 6% है। इसमें ई-ईंधन को मिला कर यूज करने पर कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी की जा सकती है।

पारंपरिक हवाई जहाज के लिये जरूरी ईंधन ऊर्जा घनत्व (Fuel Energy Density) के माामले में ईवी बैटरी ऊर्जा घनत्व अभी भी काफी कम है। 2023 में लिथियम-आयन बैटरी बनाने वाली एक अग्रणी कम्पनी CATL (Contemporary Amperex Technology Co. Limited) ने 500Wh/kg के घनत्व के साथ एक इलेक्ट्रिक प्लेन बैटरी की घोषणा की है जबकि एक स्पेशल जेट ईंधन का घनत्व 12000W/kg होता है। ऊर्जा घनत्व में अंतर विमानन में इलेक्ट्रिक बैटरी को व्यापक रूप से अपनाने के लिए एक चुनौती बन गया है, जिससे  e-fuel अब के लिए ज्यादा प्रेक्टिकर्ल विकल्प बन गया है।

काउबॉय नई की ई-बाइक्स के बारे में जानना चाहें तो पढें https://evexplorations.com/cowboy-e-bikes-with-built-in-google-maps/

 

 

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